बहुत ठंड है मां

*-:बहुत ठंड है मां:-*
हे मां,, बहुत ठंड है, मेरी तो जान ही निकल रही है,,,
मेरे हिस्से का तूने जिन्हें दूध दिया था, वे तो कोई हमारी चिन्ता नहीं कर रहे हैं?
बेटा,,,
ये मानव है, कलयुगी मानव बहुत कठोर दिल होता है, भयंकर खुदगर्ज होता है,, उसे केवल अपने बच्चे ही अच्छे लगते हैं,,, बेटा हमें तो कलयुग में कष्ट ही मिलेंगे,,, इन मनुष्यों से आस रखना तो धोखा खाना है, बेटा तूं नजदीक आ जा, मेरी गोदी में बैठ जा,,
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*" alt="" aria-hidden="true" />